Thursday, September 18, 2008

श्रीरामचंद्राची आरती


श्रीरामचंद्राची आरती

उत्कट साधुनि शिळा सेतु बांधोनी |

लिंगदेह लंकापुर विध्वंसूनी |

कामक्रोधादिक राक्षस मर्दूनी |

देहअहंभाव रावण निवटोनी || 1 ||

जय देव जय देव निजबोधा रामा |

परमार्थे आरती, सद्भावे आरती परिपूर्णकामा |

जय देव जय देव || ध्रु.||

प्रथम सीताशुध्दी हनुमंत गेला |

लंका दहन करुनी अखया मारिला |

मारिला जंबूमाळी भुवनीं त्राहाटीला |

आनंदाची गुढी घेऊनियां आला | | २ ||

जय देव जय देव निजबोधा रामा |

परमार्थे आरती, सद्भावे आरती परिपूर्णकामा |

जय देव जय देव || ध्रु.||

निजबळें निजशक्ति सोडविली सीता |

म्हणूनी येणें झाले अयोध्वे रघुनाथा |

आनंदें वोसंडे वैराग्य भरता |

आरती घेउन आली कौसल्या माता || ३ ||

जय देव जय देव निजबोधा रामा |

परमार्थे आरती, सद्भावे आरती परिपूर्णकामा |

जय देव जय देव || ध्रु.||

अनाहतध्वनी गर्जति अपार |

अठरा पद्में वानर करिती भुभु:कार |

अवोध्येसी आले दशरथ कुमार |

नगरीं होत आहे आनंद थोर || ४ ||

जय देव जय देव निजबोधा रामा |

परमार्थे आरती, सद्भावे आरती परिपूर्णकामा |

जय देव जय देव || ध्रु.||

सहज सिंहासनीं राजा रघुवीर |

सोहंभावें तया पूजा उपचार |

सहजांची आरती वाद्यांचा गजर |

माधवदासा स्वामी आठव ना विसर || ५ ||

जय देव जय देव निजबोधा रामा |

परमार्थे आरती, सद्भावे आरती परिपूर्णकामा |

जय देव जय देव || ध्रु.||

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