
श्रीरामचंद्राची आरती
उत्कट साधुनि शिळा सेतु बांधोनी |
लिंगदेह लंकापुर विध्वंसूनी |
कामक्रोधादिक राक्षस मर्दूनी |
देहअहंभाव रावण निवटोनी || 1 ||
जय देव जय देव निजबोधा रामा |
परमार्थे आरती, सद्भावे आरती परिपूर्णकामा |
जय देव जय देव || ध्रु.||
प्रथम सीताशुध्दी हनुमंत गेला |
लंका दहन करुनी अखया मारिला |
मारिला जंबूमाळी भुवनीं त्राहाटीला |
आनंदाची गुढी घेऊनियां आला | | २ ||
जय देव जय देव निजबोधा रामा |
परमार्थे आरती, सद्भावे आरती परिपूर्णकामा |
जय देव जय देव || ध्रु.||
निजबळें निजशक्ति सोडविली सीता |
म्हणूनी येणें झाले अयोध्वे रघुनाथा |
आनंदें वोसंडे वैराग्य भरता |
आरती घेउन आली कौसल्या माता || ३ ||
जय देव जय देव निजबोधा रामा |
परमार्थे आरती, सद्भावे आरती परिपूर्णकामा |
जय देव जय देव || ध्रु.||
अनाहतध्वनी गर्जति अपार |
अठरा पद्में वानर करिती भुभु:कार |
अवोध्येसी आले दशरथ कुमार |
नगरीं होत आहे आनंद थोर || ४ ||
जय देव जय देव निजबोधा रामा |
परमार्थे आरती, सद्भावे आरती परिपूर्णकामा |
जय देव जय देव || ध्रु.||
सहज सिंहासनीं राजा रघुवीर |
सोहंभावें तया पूजा उपचार |
सहजांची आरती वाद्यांचा गजर |
माधवदासा स्वामी आठव ना विसर || ५ ||
जय देव जय देव निजबोधा रामा |
परमार्थे आरती, सद्भावे आरती परिपूर्णकामा |
जय देव जय देव || ध्रु.||
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